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Lakshmi Niwas palace, Bharatpur, Rajasthan❤
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लोक आस्था के महा पर्व छठ गीत के सुप्रसिद्ध गायिका , भोजपुरी मैथिली हिंदी गीतों की स्वर कोकिला, पद्म श्री से सम्मानित, भारत के सुप्रसिद्ध गायिका शारदा सिंहा जी के निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि , छठी माई उनके आत्मा को शांति दें।💐🙏

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ये भी जाने🙏
दिव्या भारती लव Jहाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, 18 वर्ष की आयु में बॉलीवुड में कदम रखा। पहली ही फ़िल्म उस समय के सुपरस्टार सनी देओल के साथ मिली, मात्र 1 वर्ष में 14 फिल्में हासिल की और कई आगामी कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किये यह बॉलीवुड के इतिहास में एक अलग ही रिकॉर्ड है।

मगर जून 1992 में ये लव जेहाद का शिकार हुई जब साजिद नाडियाडवाला से प्रेम हुआ। दिव्या भारती ने मज़हब अपना लिया और अपना नाम सना नाडियाडवाला करके निकाह कर लिया। साजिद के बारे में उनका भी यही मानना था "मेरा वाला अब्दुल अलग है वो वैसा नही है"

बहरहाल 5 अप्रैल 1993 को इनके घर दो मेहमान आये नीता लुल्ला और उनके पति श्याम लुल्ला। वे दोनों फ़िल्म देख रहे थे, नौकरानी अमृता खाना बना रही थी और बड़ी बात ये है कि उस समय दिव्या भारती मेहमानों के साथ नही थी बल्कि किचन में जाकर खिड़की पर बैठ गयी

ज्ञातव्य हो उनका फ्लैट पांचवे फ्लोर पर था। दो आदमी आए और नौकरानी को धमकाया कि, "अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो तुम्हारा भी यही अंजाम होगा।" गलती तो शादी करके खुद उसने ही की थी और आज उसका आखिरी दिन था। यह बात उसे भी उस समय समझ आ गई थी, लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकती थी। उन दोनों आदमियों ने उसे पकड़ लिया और रसोई से होते हुए उसे वहां ले गए... वे खिड़की पर बैठी उनका बैलेंस बिगड़ा और वही से गिरकर उनकी मृत्यु हो गयी।

जिन पाठकों ने दिल्ली और मुंबई का जीवन देखा है, वे जानते होंगे कि खिड़की के बाहर लोहे की ग्रील लगवाना अनिवार्य है। आश्चर्य की बात है दिव्या भारती के किचन की खिड़की में कोई ग्रील नही थी बस एक स्लाइड दरवाजा था उसमे ऑटो स्टॉपर था जो कि उस समय काम नही कर रहा था।

है ना कमाल का संयोग, मुंबई के सबसे वीआईपी एरिया वर्सोवा की एक अच्छी सोसायटी में इतनी बड़ी समस्या यथावत है। चलो ये दो संयोग भी मान लिए मगर ये बताए कि यदि आपके घर कोई मेहमान आये है तो आप उनके साथ सोफे पर बैठेंगे या किचन में जाकर नौकरानी से गप्पे लड़ाएंगे?

दिव्या भारती पहली महिला नही थीं जो लव जेhad का शिकार हुई थीं। और सरकार को पता भी नहीं चला होगा, या पता चला होगा तो सारी संपत्ति तो जेhadi की हो गई। कानून को तो कुछ बोतियाँ खिला दी गई

दिव्या भारती का पूरी तरह से ठंडा कलेजे से कोल्ड ब्लडेड मडर किया गया था

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बधाई हो ❤️🌺🇮🇳
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए. यह भारत और पूरी दुनिया के लिए राहत की बात है. पूरी दुनिया पर वामपंथी साया छाते छाते रुक गया... कम से कम कुछ समय के लिए.
लेकिन वामपंथ कभी विश्राम नहीं करता... The Devil never sleeps. तो यह युद्ध सतत चलता रहेगा.
लेकिन एक वैलिड प्रश्न लोग हमेशा पूछते हैं... ट्रम्प भी आएगा तो वह अमेरिका के हित में काम करेगा. उससे हमें क्या फायदा?
यहां हमें ट्रम्प और वामपंथियों के बीच का महत्व का अंतर समझना होगा. ट्रम्प का ड्राइविंग फोर्स निजी हित (या इस केस में अमेरिका का निजी हित) है. वामपंथियों का इंस्पिरेशन आइडियोलॉजी है. आप किसी के हितों से नेगोशिएट कर सकते हैं. बार्गेन कर सकते हैं, ऐसे उपाय खोज सकते हैं जिनमें दोनों के हित सुरक्षित रहें या कम से कम एक बेस्ट डील पर पहुंच सकते हैं.
पर आप आइडियोलॉजी से नेगोशिएट नहीं कर सकते. उन्हें हर कॉस्ट पर अपनी आइडियोलॉजी चलानी है... आपका नुकसान कर के, अपना नुकसान उठा कर भी. यह कुछ ऐसा अंतर है कि आप एक व्यापारी से नेगोशिएट कर सकते हैं, एक हत्यारे से नहीं.
ट्रम्प व्यापारी है, अपने मोदीजी उससे बड़े व्यापारी हैं. कुल मिलाकर एक डील, या एक पार्टनरशिप बन सकती है. कैमिला हैरिस जीतती तो वही स्थिति होती जो आज कनाडा में टुडू के साथ है.
वामपंथियों का पराजय आवश्यक है।

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