Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
पहचानिए इस हस्ती को, वृंदावन में करीब 54 एकड़ परिसर में साध्वी ऋतंभरा जी का 'वात्सल्य ग्राम' आश्रम है।
आश्रम के विशाल दरवाजे के बाईं ओर एक पालना है, जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय अनचहा या अनाथ शिशु को रखकर जा सकता है।
पालने में बच्चा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को आश्रम से संबंधित सदस्य किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछता। पालने में कोई बच्चा रखते ही पालने पर लगा सेंसर आश्रम के व्यवस्थापन को इसकी सूचना देता है और आश्रम का कोई अधिकारी आकर उस बच्चे को आश्रम ले आता है। आश्रम में प्रवेश होते ही वह बच्चा वात्सल्य ग्राम परिवार का सदस्य हो जाता है। अब वह वह अनाथ नहीं कहलाता, उसे आश्रम में ही माँ, मौसी, दादा-दादी; सब रिश्तेदार मिल जाते हैं !
इसके बाद सीबीएसई की पढ़ाई ....प्राकृतिक चिकत्सा .... योग.. मिलिट्री ट्रेनिंग सब देते हुए उसकी शादी तक करवाई जाती है ..
कनक 👏
बना कर दिए मिट्टी के जरा सी आस पाली है
इनकी भी मेहनत खरीद लेना लोगों इनके घर भी दिवाली है
इस दिवाली बड़े बड़े मॉल से नहीं बल्कि फुटपाथ पर बैठे प्यारे लाचार बच्चों से देश की मिट्टी से बने #स्वदेशी दीपक ही खरीदेऺ 👏🪔