Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
पिता ने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. 14 वर्ष की उम्र में मनु ने पिस्टल थामी और फिर उसी से इतिहास रचना शुरू कर दिया. राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने 16 साल की उम्र में 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक अपने नाम कर बाप के त्याग को जाया नहीं जाने दिया. मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी, 2002 को हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव में हुआ था. इनके पिता मरीन इंजीनियर और मां स्कूल में प्रिंसिपल हैं. भाकर बचपन में स्केटिंग, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स और जूडो कराटे भी खेलती थीं.
पेरिस ओलंपिक मे मेडल जीतने वाली मनु ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता तो बचपन से जानती थी, लेकिन पिछले दो तीन साल से ज्यादा जुड़ाव रहा. पढ़ना भी अभी शुरू किया. मेरे कोच, मम्मी और मेरे आध्यात्मिक गुरु मुझे रोजाना एक-दो श्लोक सिखाते हैं.
प्रियंका नेगी एक प्रमुख भारतीय कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने खेल कौशल और समर्पण से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पहचान बनाई है। उनका जन्म 21 मई 1995 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई में हुआ था। प्रियंका नेगी का कबड्डी के प्रति झुकाव बचपन से ही था, और उन्होंने स्कूल के दिनों से ही इस खेल में भाग लेना शुरू कर दिया था।
प्रियंका नेगी की शुरुआती शिक्षा शिलाई स्कूल में हुई, जहां उन्होंने कबड्डी खेलना शुरू किया। उनके प्रशिक्षक हिरे सिंह, जो उस समय के प्रसिद्ध पीटीआई थे, ने उन्हें इस खेल में मार्गदर्शन दिया। हिरे सिंह के नेतृत्व में प्रियंका ने स्कूल स्तर पर अपनी टीम की कप्तानी की और बाद में 2006 में बिलासपुर के खेल होस्टल में कबड्डी की पेशेवर ट्रेनिंग लेने के लिए गईं। वहां से उनका करियर शुरू हुआ और उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रियंका नेगी ने 2011 में दक्षिण एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने 2012 में पटना में आयोजित पहले महिला कबड्डी विश्व कप में भी स्वर्ण पदक जीता। 2013 में, उन्होंने चीन में आयोजित तीसरे एशियाई बीच खेलों में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय कबड्डी टीम की प्रमुख खिलाड़ियों में से एक बना दिया।
प्रियंका नेगी की मेहनत और खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। 2012 में, उन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिष्ठित परशुराम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, वह हिमाचल प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के रूप में भी अपनी सेवा दे रही हैं, और 2017 में उन्हें पदोन्नति देकर इंस्पेक्टर बनाया गया।