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रकुल प्रीत सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1990 को नई दिल्ली में हुआ था। वह एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता कुलविंदर सिंह भारतीय सेना में कर्नल रहे हैं और उनकी माँ रीना सिंह एक गृहिणी हैं। रकुल का एक छोटा भाई भी है – अमन प्रीत सिंह, जो अभिनय की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं।

रकुल की पढ़ाई दिल्ली में हुई। उन्होंने आर्मी पब्लिक स्कूल, धौला कुआं से स्कूलिंग पूरी की और बाद में जीसस एंड मैरी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से गणित (Mathematics) में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही वह मॉडलिंग की ओर आकर्षित हुईं और उन्होंने कई विज्ञापनों व ब्यूटी पेजेंट्स में हिस्सा लिया।

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नवरात्रि के चौथे दिन माता दुर्गा के चौथे स्वरूप माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ही इस ब्रह्मांड की रचना की थी।

​पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर घना अंधकार था, तब किसी भी जीव का अस्तित्व नहीं था। इस शून्य में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) ने आदिशक्ति माँ दुर्गा से सहायता मांगी। तब माँ दुर्गा ने अपने चौथे स्वरूप, माँ कूष्मांडा को प्रकट किया। उन्होंने अपनी मंद-मंद मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की और चारों ओर प्रकाश फैला दिया। माँ के इस स्वरूप को अष्टभुजा भी कहते हैं, क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और जप माला सुशोभित हैं।
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🙏 जय मां शारदा 🙏
राज राजेश्वरी जगत जननी मां मैहर वाली माता रानी जी के आज गुरुवार 25 सितंबर 25 के प्रातः काल के दिव्य आरती दर्शन 🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺
श्री मैहर देवी धाम मैहर

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सुबह सबेरे की राम राम मित्रों
आप आनन्द ले रहे हैं #नित्य_मानस_पाठ का
श्रीरामचरितमानस
द्वितीय सोपान अयोध्याकाण्ड
आज दोहा क्रमांक 286/326

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33 साल से अमेरिका में रह रही 73 साल की पंजाबान हरजीत कौर को किया गया डिपोर्ट

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🌸 नवरात्र – चौथा दिन : माँ कूष्मांडा 🌸
🌹🙏 जय मा समालेश्वरी 🙏🌹
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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सृष्टि के आरम्भ में जब हर ओर अंधकार और शून्यता ही विद्यमान थी, तब आदिशक्ति पार्वती का चौथा स्वरूप – माँ कूष्मांडा प्रकट हुईं।
माँ की दिव्य मुस्कान (कु-उष्म-अण्ड) से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना हुई।
☀️ वे ही एकमात्र देवी हैं जो सूर्य मण्डल के मध्य भाग में निवास करने की सामर्थ्य रखती हैं। उनकी दिव्य ऊर्जा से ही सूर्य प्रकाशमान होता है और समस्त लोक जीवन तथा शक्ति प्राप्त करते हैं।
🔱 अष्टभुजा देवी – माँ कूष्मांडा के आठों हाथों में क्रमशः कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल, अमृतकलश, जपमाला, गदा और चक्र सुशोभित रहते हैं।
🌺 फल – माँ कूष्मांडा की आराधना करने से रोग-शोक, दुःख-दरिद्रता दूर होती है और आयु, स्वास्थ्य, बल तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ध्यान मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूद्धिरौद्भासितं शुभम्।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
(अर्थ – जो देवी हाथों में अमृतकलश धारण कर दिव्य आभा से सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करती हैं, वे शुभदायिनी माँ कूष्मांडा मुझे कृपा प्रदान करें।)
🙏 आइए, इस चौथे दिन माँ कूष्मांडा से प्रार्थना करें –
हम सबके जीवन से अंधकार, दुःख और रोग दूर हों, और सुख-शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि का वास हो।
🌹🙏 ✨ जय माँ कूष्मांडा ✨ 🙏🌹
🌹🙏 जय मा समलेश्वरी 🙏🌹
🚩🚩🚩🚩🌼🚩🌼🚩🚩🚩🚩

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🌸 नवरात्र – चौथा दिन : माँ कूष्मांडा 🌸
🌹🙏 जय मा समालेश्वरी 🙏🌹
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सृष्टि के आरम्भ में जब हर ओर अंधकार और शून्यता ही विद्यमान थी, तब आदिशक्ति पार्वती का चौथा स्वरूप – माँ कूष्मांडा प्रकट हुईं।
माँ की दिव्य मुस्कान (कु-उष्म-अण्ड) से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना हुई।
☀️ वे ही एकमात्र देवी हैं जो सूर्य मण्डल के मध्य भाग में निवास करने की सामर्थ्य रखती हैं। उनकी दिव्य ऊर्जा से ही सूर्य प्रकाशमान होता है और समस्त लोक जीवन तथा शक्ति प्राप्त करते हैं।
🔱 अष्टभुजा देवी – माँ कूष्मांडा के आठों हाथों में क्रमशः कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल, अमृतकलश, जपमाला, गदा और चक्र सुशोभित रहते हैं।
🌺 फल – माँ कूष्मांडा की आराधना करने से रोग-शोक, दुःख-दरिद्रता दूर होती है और आयु, स्वास्थ्य, बल तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ध्यान मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूद्धिरौद्भासितं शुभम्।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
(अर्थ – जो देवी हाथों में अमृतकलश धारण कर दिव्य आभा से सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करती हैं, वे शुभदायिनी माँ कूष्मांडा मुझे कृपा प्रदान करें।)
🙏 आइए, इस चौथे दिन माँ कूष्मांडा से प्रार्थना करें –
हम सबके जीवन से अंधकार, दुःख और रोग दूर हों, और सुख-शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि का वास हो।
🌹🙏 ✨ जय माँ कूष्मांडा ✨ 🙏🌹
🌹🙏 जय मा समलेश्वरी 🙏🌹
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🌸 नवरात्र – चौथा दिन : माँ कूष्मांडा 🌸
🌹🙏 जय मा समालेश्वरी 🙏🌹
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सृष्टि के आरम्भ में जब हर ओर अंधकार और शून्यता ही विद्यमान थी, तब आदिशक्ति पार्वती का चौथा स्वरूप – माँ कूष्मांडा प्रकट हुईं।
माँ की दिव्य मुस्कान (कु-उष्म-अण्ड) से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना हुई।
☀️ वे ही एकमात्र देवी हैं जो सूर्य मण्डल के मध्य भाग में निवास करने की सामर्थ्य रखती हैं। उनकी दिव्य ऊर्जा से ही सूर्य प्रकाशमान होता है और समस्त लोक जीवन तथा शक्ति प्राप्त करते हैं।
🔱 अष्टभुजा देवी – माँ कूष्मांडा के आठों हाथों में क्रमशः कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल, अमृतकलश, जपमाला, गदा और चक्र सुशोभित रहते हैं।
🌺 फल – माँ कूष्मांडा की आराधना करने से रोग-शोक, दुःख-दरिद्रता दूर होती है और आयु, स्वास्थ्य, बल तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ध्यान मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूद्धिरौद्भासितं शुभम्।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
(अर्थ – जो देवी हाथों में अमृतकलश धारण कर दिव्य आभा से सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करती हैं, वे शुभदायिनी माँ कूष्मांडा मुझे कृपा प्रदान करें।)
🙏 आइए, इस चौथे दिन माँ कूष्मांडा से प्रार्थना करें –
हम सबके जीवन से अंधकार, दुःख और रोग दूर हों, और सुख-शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि का वास हो।
🌹🙏 ✨ जय माँ कूष्मांडा ✨ 🙏🌹
🌹🙏 जय मा समलेश्वरी 🙏🌹
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