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अगर कभी घर से दूर देहरादून शहर में पहाड़ के पारंपरिक व्यंजनों को खाने का मन हो तो आइए, रिस्पना पुल से 1 किलोमीटर आगे हरिद्वार रोड शास्त्री नगर के सामने एक छोटी सी दुकान "बूढ़ दादी" पर जहाँ, पौड़ी गढ़वाल निवासी डोभाल दम्पति द्वारा आज के दौर में भी पहाड़ो से विलुप्त हो चुके पारंपरिक पौष्टिक व्यंजनों को जीवंत करने का एक सराहनीय प्रयास किया जा रहा है ।
इस "बूढ़ दादी" रेस्टोरेंट में आपको विशेष तौर से पहाड़ी ढिढका , बिरंजी (झंगोरे की बिरयानी) , सिडकु और असकली जैसे लजीज व्यंजन खाने को मिलेंगे इसके साथ ही यहाँ की सबसे विशेष समौण "बारह नाज का बुख़णा" मिलेंगे जिसका कोई जवाब नही है।
आप सभी को भी कभी अवसर मिले तो एक बार जरूर जाइएगा।
#uttarakhand

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🙏 हरि 🕉️

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What a mind set 👍

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ये है तीसरी पीढ़ी का अन्तर||हमारी दाड़ी ताई का ये पहनावा है हमारा इनकी उम्र मै क्या होगा कोन जाने||ये रिवाज बस फोटो वीडियो मै ही देखने को मिला करेगे इसलिए मै वो हर बाबा दादी को फोटो मै लेती हूं ताकि आने वाली पीढ़ी देख सके||10 साल बाद सब कुछ बदलने वाला है||

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मैने गांव के सफ़र मै काफी संघर्ष किया है लेकिन इस एक साल के सफ़र मै इतना अनुभव मिला है जो कभी किताबों से भी नहीं मिला||कितनी सच्चाइयों से रूबरू होना भी एक सफलता थीं||आप सबने मेरा हौसला बढ़ाया और मै इस सफर को करतीं रही||पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांव को आगे बढ़ाने का मेरा सपना है और इस सपने को लिए मै अकेले इस सफर पे निकली अब आप सब का प्यार मेरे लिए हौसला है मेरा ||अमर उजाला का मै आभार प्रकट करती हूं||पारुल चौधरी|| #amarujala

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