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मुझे आदमी का सड़क पार करना
हमेशा अच्छा लगता है
क्योंकि इस तरह
एक उम्मीद सी होती है
कि दुनिया जो इस तरफ है
शायद उससे कुछ बेहतर हो
सड़क के उस तरफ।

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Lovely illustration on friendship by my dear friend late Kamla Bhasin di who has always been an inspiration to all of us.

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अनुपम श्याम भारतीय सिनेमा और टेलीविज़न की दुनिया के एक बेहद प्रतिष्ठित और सम्मानित नाम हैं। उनकी अदाकारी ने न केवल फिल्मों में, बल्कि छोटे पर्दे पर भी गहरी छाप छोड़ी है। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें इंडस्ट्री का एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आने वाले अनुपम श्याम ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से अभिनय की शिक्षा ली और इसके बाद मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने पहुंचे, जहाँ उन्होंने अपने अभिनय से अपनी पहचान बनाई।
उनकी सबसे प्रसिद्ध भूमिका टेलीविज़न शो मन की आवाज़ प्रतिज्ञा में "ठाकुर सज्जन सिंह" की थी। इस किरदार ने उन्हें अभूतपूर्व लोकप्रियता दिलाई। सज्जन सिंह का आक्रामक, कठोर और दमदार व्यक्तित्व दर्शकों के दिलों में अमिट हो गया। अनुपम श्याम ने इस भूमिका को इतनी सच्चाई और गहराई से निभाया कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी उस किरदार से जोड़ने लगे। उनकी संवाद अदायगी और हावभाव इतने प्रभावी थे कि उन्होंने हर दृश्य में अपनी मौजूदगी से एक अलग प्रभाव छोड़ा।
फिल्मों की बात करें तो अनुपम श्याम ने दस्तक, सत्या, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, और शक्ति: द पावर जैसी फिल्मों में छोटे लेकिन यादगार किरदार निभाए। उनके अभिनय में एक अनोखी विशिष्टता थी, चाहे वह निगेटिव रोल हो या पॉजिटिव, वह हर किरदार को अपने अनोखे अंदाज़ में निभाते थे।
अपने अभिनय करियर के साथ-साथ अनुपम श्याम ने कई व्यक्तिगत चुनौतियों का भी सामना किया। वह किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने अभिनय के प्रति समर्पित रहे। उनके जीवन का अंतिम समय भी अभिनय और अपने प्रशंसकों के प्रति प्यार से भरा हुआ था। उन्होंने अपने काम से दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई और उनकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी।
अनुपम श्याम का जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण की मिसाल है। उनके योगदान को सिनेमा और टेलीविज़न जगत में हमेशा याद रखा जाएगा।

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कल्पना कीजिए, एक छोटा सा लड़का, जो दिल्ली की संकरी गलियों में फलरस बेचते हुए बड़े सपने देखता था। दरियागंज के बाजार की भीड़-भाड़ और शोरगुल में, इस लड़के के मन में कुछ अलग करने की ललक थी। यह लड़का और कोई नहीं, बल्कि गुलशन दुआ थे, जिनका नाम बाद में पूरे देश में गूंजा—गुलशन कुमार के नाम से। 🌟🎶
गुलशन का जन्म एक साधारण पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता, चन्द्रभान, दरियागंज बाजार में एक छोटे से फलरस विक्रेता थे। गुलशन का जीवन यहीं से शुरू हुआ—फलरस बेचते हुए, जीवन की कठिनाइयों को समझते हुए। लेकिन उनकी आँखों में कुछ बड़ा करने का सपना था। 🍹👦
जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्षों के बीच, गुलशन ने अपने परिवार के साथ मिलकर कारोबार का रुख बदलने का फैसला किया। उन्होंने रिकॉर्ड और सस्ते ऑडियो कैसेट्स बेचने की दुकान संभाली, जो कि उनके भविष्य के साम्राज्य की नींव बनने वाली थी। 🎧💿
यह वही समय था जब भारत में संगीत की दुनिया में क्रांति की शुरुआत हो रही थी, और गुलशन ने इस मौके को भुनाने का फैसला किया। उनकी मेहनत, समर्पण, और कुछ नया करने की चाह ने उन्हें टी-सीरीज़ का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। टी-सीरीज़ ने न सिर्फ संगीत की दुनिया में तहलका मचा दिया, बल्कि गुलशन कुमार को 'किंग ऑफ म्यूजिक' बना दिया। 🎤👑
गुलशन का सफर बताता है कि चाहे आप कितनी भी साधारण पृष्ठभूमि से क्यों न हों, अगर आपमें सपने देखने और उन्हें साकार करने का जुनून है, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। दरियागंज की छोटी सी दुकान से लेकर एक विशाल संगीत साम्राज्य बनाने तक की यह यात्रा प्रेरणा का एक जीता-जागता उदाहरण है। 🌍🚀
आज गुलशन कुमार का नाम भारतीय संगीत की दुनिया में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उनका यह सफर बताता है कि संघर्षों से कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि इन्हीं संघर्षों में आपके सपनों की कुंजी छुपी होती है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है। 🌟

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