2 سنوات

मर्द की सिर्फ पैदा होने की खुशी मनाई जाती है बाकी उसकी तमाम ज़िंदगी औरत की खिदमत में गुजर जाती है।
फिर चाहे वो मां का ख्याल रखना हो, बहन का दहेज जुगाड़ करना हो, बीवी के खर्चे या फिर बेटी की परवरिश।

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