कोई पत्थर पर राम का नाम लिखकर तर जाता है...और राम के नाम पर सेतु बन जाता है। यही तो संस्कार हैं...यही भक्ति है, यही धर्म है! जहाँ पत्थरों को आराध्य के नाम से पुल में बदल दिया जाता है! और कहीं....!
सेतू कपि नल नील बनावें ।
राम-राम लिख सिला तिरावें ।।
लंका पहुँचे राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ।।
