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लखनऊ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में तीन गोल्ड मेडल जीतने वाली इक़रा रिज़वान वारसी के वालिद रिज़वान साहब पहले स्प्रे पेंटिंग का काम करते थे। वबा के दौरान उनकी नौकरी चली गई थी तो वो हस्पतालों के इर्द गिर्द घूमकर मास्क बेचने लगे। रिज़वान साहब की यही आमदनी का ज़रिया है जिससे वो अपना घर परिवार चलाते हैं।
इक़रा रिज़वान को डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी गोल्ड मेडल, पंडित देवी सहाय मिश्रा गोल्ड मेडल और श्रीमती श्याम कुमारी हुक्कू मेमोरियल गोल्ड मेडल से नवाज़ा गया है। इक़रा रिज़वान साल 2021 में बेस्ट स्टूडेंट अवॉर्ड कांस्य पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं। इक़रा अपनी कामयाबी का स्रेह अपने परिवार को देते हुए कहती हैं- "मैं आगे उर्दू में परास्नातक की पढ़ाई करूंगी उसके बाद यूजीसी व नेट इम्तिहान दूंगी और प्रोफ़ेसर बनकर अपने जैसी लड़कियों को आगे बढ़ाऊंगी। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। कोविड काल में और भी मुश्किल हालात थे। मां मास्क की सिलाई करती थीं। वालिद उनको हस्पतालों के बाहर बेचते थे। इसी से घर चलता था। अब भी हालात बहुत ज़्यादह नहीं बदले हैं। हम चार भाई-बहन हैं, जिसमें मैं सबसे बड़ी हूं"
मुबारकबाद इक़रा रिज़वान।

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