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जमीन बेचकर भरा हॉस्पिटल का बिल, 3 लाख बकाया रह गए तो अस्पताल ने 3 महीने बंधक बना लिया, हैरान करने वाली है खबर

प्रतापगढ़ ( pratapgarh). राजस्थान से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मुफ्त दवा और इलाज योजना के नाम पर चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना राजस्थान में लागू है, लेकिन उसके बावजूद भी दो दोस्तों का एक प्राइवेट अस्पताल में इतना महंगा इलाज कर दिया कि उन्हें जमीन बेचनी पड़ गई। जमीन बेचने के बाद भी उन दोनों को इसलिए नहीं छुड़ाया जा सका क्योंकि 3 लाख रुपए अब भी बकाया थे। बाद में जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने इस मामले में दखल दिया अब जाकर निजी अस्पताल संचालक ने दोनों दोस्तों को डिस्चार्ज किया। उन्हें इससे पहले 3 महीने तक बंधक बनाकर रखा गया था। मामला उदयपुर जिले का है और दोनों घायल युवक प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं।
मिली जानकारी के अनुसार करीब 3 महीने पहले प्रतापगढ़ के पीपलखूंट में रहने वाले सुनील और भैरू राम का एक्सीडेंट हो गया था। दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन प्रतापगढ़ जिला अस्पताल में ज्यादा सुविधाएं नहीं होने के कारण दोनों को उदयपुर के लिए रेफर कर दिया गया। इस दौरान उन्हें सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली तो परिवार के लोग निजी एंबुलेंस में उदयपुर ले गए।

एंबुलेंस चालक ने चली तगड़ी चाल, फंस गए दोस्त

निजी एंबुलेंस संचालक ने तगड़ी चाल चली। उसने मरीजों के परिजनों को बातों में फंसा लिया और जल्दी और बेहतर इलाज करने के नाम पर दोनों को एक निजी अस्पताल में ले गया। वहां पर दोनों का इलाज किया गया। परिजनों ने चिरंजीवी कार्ड भी दिखाया लेकिन अस्पताल ने इस बारे में इलाज के बाद बात करने की बात कही। मरीजों के परिजन आश्वस्त थे कि चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में उनका इलाज निशुल्क हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

फ्री के चक्कर में पकड़ा दिया लाखों का बिल

डॉक्टरों ने 8 लाख 85 हजार का खर्चा निकाल दिया। कहा कि दोनों के इलाज में इतना पैसा खर्च हुआ है। परिजनों ने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना की बात की तो अस्पताल ने कहा हमारे यहां इस योजना को नहीं मानते। परिजनों ने मरीजों को छोड़ने की रिक्वेस्ट की लेकिन अस्पताल ने बिना पेमेंट करें मरीज नहीं छोड़े ।

जमीन बेंची फिर भी नहीं चुका पाए बिल

उसके बाद परिवार ने जमीन बेचकर करीब 5 लाख चुकाए, लेकिन फिर भी 3 लाख 85 हजार नहीं चुका सके। रुपए नहीं देने के कारण करीब 3 महीने तक अस्पताल में सुनील और भैरू राम को अस्पताल में ही रखा। बाद में सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से सुनील और भैरू के परिजन उदयपुर के जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बामणिया से मिले। बामणिया को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अस्पताल को जमकर लताड़ लगाई और कानूनी कार्रवाई करने तक की धमकी दे डाली। तब जाकर दोनों मरीजों को छोड़ा गया।

उल्लेखनीय है कि पिछले तीन-चार दिन से पूरे राजस्थान के निजी अस्पताल सरकार की मुफ्त स्वास्थ्य योजनाओं के विरोध में उतरे हुए हैं । लेकिन यह मामला करीब 3 महीने पुराना है । 3 महीने पहले ही उदयपुर के अस्पताल में चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना को मानने से इनकार कर दिया।
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