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आज ही के दिन वीर योद्धा रामलाल खोखर ने 15 मार्च 1206 ईस्वी को मोहम्मद गौरी का सिर काट लिया था ।
#मानवेन्द्र सिंह
खोखर जाट बड़े वीर थे वीरता जाट जाति का जन्मजात गुण है जिस ग़ज़नवी के नाम से बड़े बड़े राजा महाराजा भय खाते थे यह ग़ज़नवी जब 1025 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर को लूटकर वापिस जा रहा था तब जाटों ने खोखर जाटों की अगुवाई में ग़ज़नवी को लुट कर उसके दिल में भय पैदा कर दिया था। यह ऐतिहासिक प्रमाण है की इन खोखर जाटों के दिल्ली के तोमर जाट राजाओ से वैवाहिक सम्बन्ध रहे थे । खोखर जाटों ने झेलम के आसपास अपना राज्य कायम कर रखा था। जब मोहम्मद गौरी ने 1192 ईस्वी में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था उसके कुछ ही समय बाद गौरी ने बंदी बनाए राजा पृथ्वीराज की हत्या कर दी थी।(बिजोलिया शिलालेख अनुसार )
देश को विदेशी सत्ता से मुक्ति दिलवाने के लिए जाट खापों ने गौरी के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया था। तब पुनः इनका नेतृत्व खोखर खाप ने किया था। उस समय खोखर खाप का मुखिया वीर रामलाल खोखर था।
सन 1205 -06 ईस्वी में खोखर जाटों ने गौरी के सूबेदार को परास्त करके लाहौर पर अधिकार कर लिया था । जाट पुनः पंजाब के शासक बन गए थे। जब गौरी को अपने हारने की सूचना पहुँची तो वो एक विशाल सेना लेकर 1206 ई० में खोखरों को दबाने के लिए इस क्षेत्र में आया। जब वह लाहौर से 15 मार्च 1206 ई० को गजनी वापिस जा रहा था। तब धम्यक (Dhamyak) के स्थान पर मुलतान के 25,000 खोखर जाटों ने गौरी की 2 लाख सेना पर धावा बोलकर मुहम्मद गौरी का सिर काट लिया। गौरी के मरते ही गौरी का विशाल साम्राज्य ऐसा अस्त हो गया
जाट समाज इस दिशा में कार्य करे.......

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