2 лет - перевести

पिछले कई रोज़ से यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। बिना किसी तहक़ीक़ के लाइक कॉमेंट की भूक में जज़्बात से लबरेज़ कैप्शन लिखकर धड़ल्ले से लोग पोस्ट कर रहे हैं। जबकि हक़ीक़त फैलाए जा रहे प्रोपेगेंड से बिल्कुल मुख़्तलिफ़ है। यह तस्वीर न पाकिस्तान की है और न ही इस तस्वीर से ज़िना (रेप) जैसी कोई कहानी जुड़ी है। यह तस्वीर तेलंगाना (हैदराबाद) के क़ब्रिस्तान की है जो दरब जंग कॉलोनी के क़रीब में मौजूद है। यह क़ब्र एक सत्तर साला ज़ईफ़ ख़ातून की है जिनकी तदफ़ीन के तक़रीबन दो महीने बाद उनके बेटे ने क़ब्र पर ग्रील लगवा दी थी।
क़ब्रिस्तान के क़रीब मौजूद मस्जिद-ए-सालार के मुअज्जिन मुख़्तार साहब का कहना है। यह तस्वीर तक़रीबन दो साल पुरानी है। यह क़ब्र क़ब्रिस्तान के गेट के बिल्कुल सामने थी। जिस भी परिवार के लोग क़ब्रिस्तान में अपनों को दफ़्न करते हैं वो सालों साल उनकी क़ब्र पर फ़ातिहा पढ़ने आते हैं। वो नहीं चाहते उनके अपनों की क़ब्र की पहचान ख़त्म हो या उनके अपनों की क़ब्र पर दुबारह कोई क़ब्र खुदे। यही वजह थी कि उस सत्तर साल की बूढ़ी ख़ातून का बेटा अपनी वालिदा की क़ब्र की पहचान को बरक़रार रखने के लिए क़ब्र पर ग्रील लगवा दिया था ताकि दुबारह उसकी वालिदा की क़ब्र पर कोई दूसरी क़ब्र न खुदे।
झूठी और मनगढ़ंत स्टोरी बनाकर पोस्ट करने वाले मान नहीं सकते हैं। न इनसे सब्र होता है और न ही यह लोग तहक़ीक़ करने या हक़ीक़त जानने की कोशिश करते हैं। इन लंपटों की वजह से यह ख़बर नेशनल मीडिया में चल रही है। इस दअवे के साथ कि पाकिस्तान में ख़्वातीन की लाश से इस्मत-दरी के डर से क़ब्र पर ग्रील लगाया जा रहा है। इस्लामोफोबिक मीडिया के साथ साथ इस्लामोफोबिक कोढ़ की मरीज़ पूरी एक लॉबी काम पर लग गई है।

image